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Thursday, March 9, 2023

महिला दिवस


 महिला दिवस💐

कब होगी महिला आज़ाद?

          कब  होंगे  सपने आबाद?

भले सृष्टि की संरचना वह,

          पर स्थान है पुरुष के बाद।।


कब तक वो परछाईं बनकर,

          -साथ  फिरेगी  दासी बनकर।

संस्कार के जाल में कब तक

           जुल्म सहेगी मन मसोसकर।।


निज जीने की दिशा मोड़कर,

           सपनों  की  उड़ान  छोड़कर।

जीना पड़ता है क्यों उसको?

           अरमानों का गला घोंटकर।।


सदियों से  ज़ुबान  पर ताला,

            पुरषों ने  ही  सदा  से डाला।

लिंग -भेद  का  दंश  सहा  है,

            असमानता का पीया पियाला। 


क्यों सहना पड़ता है उसको?

            औरों के दुःख दर्द भी उसको।

कहने को देवी का रूप है,

             पर अपमान मिला है उसको।। 


कठपुतली बन क्यों जीएगी?

            गरल ताड़ना क्यों पीएगी ?

जागो महिला अब तो जागो,

           फटी चदरिया तू क्यों सीएगी?


महिला दिवस सार्थक होगा।

          पुरुष साथ जब उसके होगा।

 मर्यादा पुरुषोत्तम बनकर,

           पुरुष साथ जब उसका देगा।।


महिला दिवस की हार्दिक शुभकामनाएं💐💐


Tuesday, October 19, 2021

मेरी स्वाधीन कलम

 ** मेरी स्वाधीन कलम **

प्रेम, दया, करुणा, ममता-सी,
     साफ, स्वच्छ जैसी  शबनम।
हिय के भाव तराशे हरपल,
      यह  मेरी स्वाधीन कलम।।

गीतों में मधुरस भरती है,
       स्वाभिमान की छवि रखती है।
औषिधि बन पीड़ा हरती है,
       पर्चे पर नुस्खे लिखती है।।

कर्तव्यों की सीख सिखाती,
        अधिकारों की राह दिखाती।
ज्ञान, मान  की सहचरणी बन,
        कोरे कागज में सब कह जाती।।

दुनिया की कोई ताकत ,
       उसके सम्मुख नही टिकती है।
जब चलती स्वाधीन कलम,
        फिर सच की आग उगलती है।।

व्यभिचारी, अत्याचारी को,
          कारागार के मार्ग दिखाती।
जज के हाथों में शोभित हो,
          सत्य पक्ष में न्याय दिलाती।।

यह मेरी  स्वाधीन कलम है,
          शिक्षक, छात्रों की पसंद है।
इनसे है जन्मों का नाता,
          सृष्टि इन्हीं से अक्लमंद है।।

यह अपने मन की सुनती है,
        नही किसी से यह डरती है।।
हो करके आज़ाद हमेशा,
         नव सृजन रचना करती है।।

Wednesday, March 31, 2021

सच्चा योद्धा

 मर मरकर जीने से अच्छा,

              एक बार मरकर जीना।
चाहे छप्पन इंची हो,
              या चाहे छत्तीस का सीना।।

योद्धा डरा नहीं करते हैं,
               गीदड़ के धमकाने से।         
दुश्मन नौ दो ग्यारह होते,
               योद्धा के आ जाने से।।

आत्म प्रशंसा का योद्धा तो,
             खुश होता है  सुन सुनकर।
सच्चा योद्धा वह होता है,
              रण रिपु मारे चुन चुनकर।।

सूर्य नहीं छिपा करता है,
            बादल के छा जाने पर
उसका तेज वही दिखता है,
            बादल के छँट जाने पर।।

योद्धा शिथिल नहीं पड़ता है,
            विपदाओं के आ जाने पर।
लक्ष्य भले कितना मुश्किल हो,
              दम लेता है पा जाने पर।।       

योद्धा मरा नहीं करता है,
            जीता है अपने गुमान पर।
कथा कहानी बन करके वह,
            जीवित रहता हर जुबान पर।।

राम चन्दर आज़ाद
मो.8887732665
           

Friday, March 5, 2021

जो


जो नहीं मृत्यु से डरता है।
       वह बार बार नहीं मरता है।
जो कर्म डगर पर डटा रहा,
       वह ही मंजिल तय करता है।।

जो सबको अमृत पिला दिया
       खुद पर्वत वन में भटकता है।
इतिहास गवाह है सदियों से,
        वह ही विष घूंट गटकता है।।

जो हार हारकर भी न रुका,
        वह हार से शोभित होता है।
तालियाँ गूँजती स्वागत में,
        उसका अभिनंदन होता है।।

जो कठपुतली बनकर नाचा,
       वो कभी भला क्या टिकता है?
उसका ज़मीर मर जाता है।
         कौड़ी कौड़ी में बिकता है।।

जो औरों के मन की न सुनें,
         अपने ही मन की सुनाता है।
यह बात सही सोलह आने,
         सब ही उससे कतराता है।।

जब तक आँखों में पानी है।
         तब तक ही दुनिया सुहानी है।
आँखों का पानी सूख गया,
         फिर तो  बदनाम कहानी है।।
रामचन्दर 'आज़ाद'
8890863949



        


Wednesday, January 13, 2021

सेवा धर्म के प्रहरी

 तन समर्पित मन समर्पित

कर दिया जीवन समर्पित।
बहु आयामी, भारत स्वामी
तुम सबके जिह्वा पर चर्चित।।

बाधाओं से विचलित होना।
तुमने कभी न जाना था।
तुम्हें समाज का प्रेरक बन,
सेवा का भाव जगाना था।।

दीनदुःखी के सेवक थे ,
तुम मानवता के पुजारी।
सेवा को ही धर्म बनाया,
तुम रहकर के ब्रह्मचारी।।

धर्म के ठेकेदारों ने जब ,
निम्न समझ ठुकराया।
निज वाणी के कौशल से,
तुमने सबको चौंकाया।।

शिकागो के धर्म सभा में,
जब थोड़ा अवसर पाया।
विश्व पटल पर भारत का,
तुमने परचम लहराया।।

उनके भाषण को सुन,
सबकी हुई बोलती बंद।
सारी सभा मे छा गए,
जब 'स्वामी विवेकानंद'।।